शिक्षा विभाग

दारुल उलूम में शिक्षा अवधि को चार चरणों में विभाजित किया गया है:-

पहला चरण

‘‘इब्तदाई’’- माहद (प्राइमरी): दारुल उलूम के प्राइमरी विद्यालयों में लगभग 3000 छात्र पढ़ते हैं, जिनमें प्राथमिक शिक्षा से पहले छोटे बच्चों के लिए एक वर्ष, फिर 5 वर्षीय प्राथमिक शिक्षा होती है। प्रारम्भिक शिक्षा के यह मदरसे व मकतब पूरे शहर के अलग-अलग मुह़ल्लों और इलाक़ों में फैले हुए हैं, इन मदरसे में बच्चों को मातृभाषा और बुनियादी विषयों की शिक्षा दी जाती है और सरकारी स्कूल के मानकों के अनुसार हिंदी अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान आदि विषयों को भी पढ़ाया जाता है।

लखनऊ से बाहर के छात्र जो बोर्डिंग में रह कर प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, उनका इन्तिज़ाम माहद सैयदना अबी बक्र अल-सिद्दीक़, महपतमऊ और मदरसा मज़हरुल इस्लाम, बिल्लौचपुरा, शहर लखनऊ में किया गया है।

दूसरा चरण:

‘‘सानवी-माहद’’ (माध्यमिक)ः- इसमें पाँच माध्यमिक कक्षाएं होती हैं और आधुनिक शिक्षा संस्थाओं के लेहाज़ से जूनियर और हाई स्कूल के समकक्ष है, इसमें अरबी और इस्लामिक अध्ययन के साथ-साथ अंग्रेज़ी और सामान्य विज्ञान आदि विषय हाई स्कूल के स्तर तक है।

तीसरा चरण:

‘‘कुल्लियह’’ (कालेज)ः- इसमें चार शैक्षणिक वर्ष होते हैं, जो शैक्षिणिक स्तर के लेहाज़ से आधुनिक शिक्षण संस्थाओं के इण्टर और स्नातक (बी.ए.) स्तर के समकक्ष है, जिसमें अरबी साहित्य और तफ़सीर (र्कुआन की व्याख्या), हदीस, फ़िक्ह, इस्लामी न्यायशास्त्र और इन से संबंधित विषयों की उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान की जाती है, अरबी भाषा में अच्छी तरह से बोलने और लिखने की भी क्षमता पैदा की जाती है। अंग्रेज़ी शिक्षा की भी व्यवस्था है, जिसका स्तर बी.ए. तक है, उत्तीर्ण होने पर छात्र को ‘‘अलियाह’’ की डिग्री मिलती है, जो देश व विदेश में बड़ा महत्व रखती है।

‘‘कुल्लियह‘‘ (कॉलेज) की शिक्षा तीन बड़े विभागों में विभाजित है, एक विभाग को कुल्लियतुश्शरीअ़ह व उसूलिद्दीन’’ और दूसरे को ‘‘कुल्लियतुल लुग़तिल अ़रबियह’’ और तीसरे को ‘‘कुल्लियतुद दअ़वह’’ कहते हैं, माध्यमिक शिक्षा के बाद, छात्रों को पात्रता के आधार पर तीनों कुल्लियात में से किसी एक को अपनाने की अनुमति होती है।

चौथा चरण

‘‘दर्जाते उ़लिया’’ (उच्चतम कक्षाएं) का यह चरण 2 वर्ष का होता है।

ख़ुसूसी (विशेष) विभाग: दारुल उलूम नदवतुल उ़लमा ने देश के आधुनिक शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ विदेशी शिक्षण संस्थानों से आने वाले छात्रों को जो धार्मिक अध्ययन और अरबी भाषा और साहित्य की शिक्षा प्राप्त करना चाहे हैं उनके लिये 5 साल का पाठ्यक्रम तैयार किया है, जिसको पूरा करने पर छात्र को ‘‘अ़ालमियत’’ की डिग्री दी जाती है।