पत्रकारिता और प्रसारण परिषद

पत्रकारिता और प्रसारण परिषद
यह मजलिस नदवतुल उ़लमा के अधीन संस्था नहीं है, बल्कि नदवतुल उ़लमा के प्रबंधक और नदवे से उत्तीर्ण बड़े आलिम इसके संस्थापक और अस्ल ज़िम्मेदार हैं, मजलिस-ए-सह़ाफ़त की स्थापना का उद्देश्य नदवतुल उ़लमा के विचार व सिद्धान्तों के मुताबिक़ इस्लाम प्रचार व प्रकाशन का कार्य अंजाम देना है, इसके तहत कई पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं।
अल-बअ़सअल-इस्लामी
अरब दुनिया को इस्लामी विचार का संदेश देने के लिए, इस अरबी पत्रिका को 1955 में मरहूम मौलाना सैयद मुहम्मद अल़-ह़सनी रह0 ने अपने कुछ दोस्तों के साथ जारी किया था, और उनकी मृत्यु के समय तक, वे अपने दोस्त मौलाना सई़दुर्रह़मान अ़ाज़मी नदवी साहब के साथ सम्पादकीय कर्तव्यों का निर्वाहन करते रहे। 16 जनवरी, 2019 को, इसके सह-सम्पादक मौलाना सैयद मुहम्मद वाज़ेह़ रशीद हसनी नदवी (नदवतुल उ़लमा के शैक्षिणिक मामलों के पूर्व अध्यक्ष), हज़रत मौलाना सैयद मुहम्मद राबेअ़ हसनी नदवी साहब इसके मुख्य निगराँ हैं और मौलाना सईदुर्रह़मान आज़मी नदवी प्रिंसिपल दारुल उ़लूम नदवतुल उ़लमा इसके मुख्य सम्पादक हैं, इसमें भारत और अरब के विद्वान व फ़ाज़िल हज़रात के लेख प्रकाशित होते हैं। अलह़म्दुलिल्लाह इस पत्रिका की लोकप्रियता भारत के अलावा अ़रब देशों में भी काफ़ी अधिक है, और इसकी गिन्ती प्रथम श्रेणी की धार्मिक पत्रिकाओं में किया जाता है, इराक, सऊदी अरब, कुवैत, लेबनान आदि के धार्मिक मासिक पत्रिकाएँ इसके लेखों को अपने संस्क्रणों में छापती हैं। अल्लाह का शुक्र है कि इन देशों में ‘‘अल-बाअ़सअल-इस्लामी’’ का एक महत्वपूर्ण सर्कल पैदा हो गया है, दो हज़ार इसके ख़रीदार हैं, इसके अलावा, बड़ी संख्या में इस पत्रिका का आदान-प्रदान होता है और मानदेय रूप में भी दिया जाता है।
अल रायद:
भारत से निकलने वाला यह पहला अरबी पाक्षिक समाचार पत्र है जो 1959 ई0 से मौलाना सैयद मुहम्मद राबेअ़ ह़सनी नदवी नाज़िम (प्रबंधक) नदवतुल उ़लमा की देखरेख में निकल रहा है, जिसके सम्पादन की ज़िम्मेदारी मौलाना सैय्यद मुह़म्मद वाज़ेह़ रशीद ह़सनी नदवी (पूर्व अधीक्षक शैक्षिणिक मामले, नदवतुल उ़लमा) ने अंजाम दी जो लगभग 35 वर्षों से इसके मुख्य सम्पादक रहे, उनकी मृत्यु के बाद, मौलाना जाफ़र मसऊ़द ह़सनी नदवी को मुख्य सम्पादक के रूप में नियुक्त किया गया। यह पत्र छात्रों और युवा लेखकों को ताज़ा अरबी पत्रकारिता में भाग लेने का अवसर प्रदान करने के लिए जारी किया गया था, और इसके लॉन्च के बाद से आज तक एक कामयाब समाचार पत्र की ह़ैसियत से काम कर रहा है, इस्लामी जगत के धार्मिक व ज्ञान सम्बंधित आंदोलनों और विचारों पर यह ठोस और गंभीर शैली में टिप्पणी करते हैं और मुसलमानों की वर्तमान स्थिति का अवलोकन भी पेश करता है, यह अरब देशों में भी क़द्र की निगाह से देखा जाता है, छात्रों और उलमा (इस्लामिक विद्वानों) के साथ-साथ अरब देशों के कई विद्वानों द्वारा पढ़ा और पसंद किया जाता है। पाठकों के बीच एक बड़ी संख्या इसके ख़रीदारों की है, 16 पेज का यह पत्र हर महीने की शुरुआत और मध्य में निकलता है।
तअ़मीर-ए-ह़यात:
1963 में एक पन्द्रह दिवसीय उर्दू पत्रिका ‘‘तअ़मीर-ए-ह़यात’’ के नाम से जारी किया गया ताकि इसके द्वारा साधारण रूप से मुसलमानों में दीनी, इल्मी व समाज सुधार के कार्यों को मज़बूती मिले, इसी के साथ-साथ यह उद्देश्य भी मद्देनज़र था कि नदवतुल उ़लमा के उद्देश्यों का प्रचार-प्रसार हो, पत्रिका बड़ी संख्या में हमदर्दों व मुख़्लिसों को मानदेय के रूप में दी जाती है, इसके सम्पादन की ज़िम्मेदारी नदवी उलमा अंजाम देते हैं, इस पत्रिका की सालाना सदस्यता ृ400/- है।
(FRAGRANCE) फ्रे़ग्रेंस
यह एक अंग्रेज़ी मासिक पत्रिका है जिसे मजलिस सह़ाफ़त (पत्रकारिता परिषद) ने 1999 ई0 से जारी किया है, इसका उद्देश्य अंग्रेज़ी भाषियों को इस्लाम से परिचित कराना है, साथ ही उन्हें इस्लाम-प्रचार में नदवतुल उ़लमा की कार्यशैली से परिचित कराना भी है। इसके मुख्य सम्पादक श्री शारिक अलवी साहब हैं।
सच्चा राही:
नदवतुल उ़लमा से सम्बन्ध रखने वाले लोगों की मांग पर मार्च 2002 से हिंदी में एक मासिक पत्रिका ‘‘सच्चा राही’’ का प्रकाशन शुरु किया गया जो बहुत लोकप्रिय हुआ, और अलहम्दुलिल्लाह लाभादायक सेवा कर रहा है, अल्लाह की तौफ़ीक़ से इसके प्रकाशन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन इसे अधिक से अधिक हिंदी भाषी घरों तक पहुँचाने की ज़रूरत है।