माअ़हद दारुल उ़लूम

माअ़हद दारुल उ़लूम
दारुल उ़लूम के परिसर में जगह की कमी के कारण महाद दारुल उलूम को दारुल उ़लूम से दस किलोमीटर दूर हरदोई रोड पर स्थानांतरित कर दिया गया है और वहां शिक्षण कार्यों के लिए दो मंज़िला भवन का निर्माण किया गया है, जिसमें कक्षाएं संचालित हो रही हैं, छात्रावास का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसका नाम ‘‘रिवाक़ मौलाना सैयद अबुल हसन अली नदवी रह0’’ रखा गया है, अब इसकी तीसरी मंज़िल बनाने की आवश्यकत है ताकि छात्रों की बढ़ती संख्या के कारण आवास की समस्याओं का समाधान किया जा सके, छात्रों की दीनी (धार्मिक) और शैक्षिक आवश्यकताओं को देखते हुए, एक बड़े हॉल की आवश्यकता थी, जिसका निर्माण अलहम्दुलिल्लाह पूरा हो चुका है, यह दो मंज़िला है, दूसरी मंज़िल में एक पुस्तकालय स्थापित किया गया है, और इसका नाम ‘‘टी. रफ़ीक़ अहमद’’ रखा गया है, और एक मस्जिद का निर्माण भी हो चुका है और अलहम्दुलिल्लाह मेस का एक नया रसोई घर भी बना दिया गया है।